द्य राहा सिरिज़

अलबोर्ज़ अज़ार

अलबोर्ज़ अज़ार

यह किसने किया
  • प्रकाशक: लेखक का प्रकाशन गृह (2 मई, 2020)
  • भाषा: हिंदी
  • ISBN:978-1952274251
 

किसने किया?

अलबोर्ज़ अज़ार ने अपनी किताबों की श्रृंखला के पहले भाग, “किसने किया” को पन्त्तेआ (लाना) को समर्पित किया है। पन्त्तेआ (अज़ार कि एश्घम), जिसने कि लाना बन कर उसे अपने संस्मरण को लिखने की और दुनिया के साथ बांटने की प्रेरणा दी, जिसके बाद अज़ार ने मार्च २०१८ कि एक घटना के बाद इस कहानी को लिखना शुरू कर दिया। हालांकि, अज़ार को मालूम था कि उसे लाना कि उपस्तिथि को चकाचौंध से दूर रखना होगा, क्यूंकि उसे अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को निजी रखना पसंद था। मगर उसे लगा कि जो प्यार वह उसके लिए महसूस करता है, वह एक अविश्वसनीय घटना थी, जो कि काग़ज पर उतारने काबिल थी। एकलौती शक्स जिसे अलबोर्ज़ पन्त्तेआ से ऊपर रखता है, वह है उसकी बीवी रोज़हां।  अधिक पढ़ें

 

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यह मैंने किया

प्रकाशक: लेखक का प्रकाशन गृह (2 मई, 2020)
भाषा: हिंदी
ISBN: 978-1-952274-66-4

 

मैंने यह किया

अलबोर्ज़  को  अपनी  तीसरी  किताब, ” किसने किया और मैंने किया का परिणाम ” के लिए जुनून तब हासिल हुई जब पन्त्तेआ  उसकी ज़िंदगी से चली जाती है. जो संदेश दिए गए हैं, वह उसे इस औरत और अपनी बीवी के लिए प्यार से मिले अनुभवों से मिले हैं. अलबोर्ज़ अब भी पन्त्तेआ  की आर्थिक मदद करता है, पर उसके अलावा, उसे इस सच्चाई का सामना करना पड़ता है की हो सकता है की वह उसकी ज़िंदगी से हमेशा के लिए जा चुकी हो. पन्त्तेआ के गुस्से को शांत करने और अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश कर लेने के बाद, अब वह निश्चित है की उसे अपने देश  वापस लौटना है. जब अलबोर्ज़ उससे कहता है की वह उसके साथ सब कुछ ठीक करना चाहता है तो वह उससे कहती है, “जैसा करोगे, वैसा भरोगे.” यह बात उसे पन्त्तेआ से की गयी गलती के लिए सजा देने के लिए कही गयी थी; एक प्रतिक्रिया यह बतलाने के लिए की ज़िंदगी वैसी नहीं है जैसा अलबोर्ज़ उसे समझता है. अधिक पढ़ें

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यह किसने किया और यह मैंने किया का परिणाम

प्रकाशक: लेखक का प्रकाशन गृह (2 मई, 2020)
भाषा: हिंदी
ISBN:978-1-952274-66-4

 

यह किसने किया और यह मैंने किया का परिणाम

अलबोर्ज़  को  अपनी  तीसरी  किताब, “किसने किया और मेरे करने के बाद क्या हुआ”, के लिए जुनून तब हासिल हुई जब पन्त्तेआ  उसकी ज़िंदगी से चली जाती है. जो संदेश दिए गए हैं, वह उसे इस औरत और अपनी बीवी के लिए प्यार से मिले अनुभवों से मिले हैं. अलबोर्ज़ अब भी पन्त्तेआ  की आर्थिक मदद करता है, पर उसके अलावा, उसे इस सच्चाई का सामना करना पड़ता है की हो सकता है की वह उसकी ज़िंदगी से हमेशा के लिए जा चुकी हो. पन्त्तेआ के गुस्से को शांत करने और अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश कर लेने के बाद, अब वह निश्चित है की उसे अपने देश वापस लौटना है. जब अलबोर्ज़ उससे कहता है की वह उसके साथ सब कुछ ठीक करना चाहता है तो वह उससे कहती है, “जैसा करोगे, वैसा भरोगे.” यह सीख यह बताने के लिए कही गयी की आप जो बोते हैं वहीं पाते हैं. अधिक पढ़ें

 

 

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प्रकाशक: लेखक का प्रकाशन गृह (2 मई, 2020)
भाषा: हिंदी
ISBN:978-1-952274-66-4

 

जैसी करनी वैसी भरनी

लेखक ने हर संभव प्रयास किया है कि इस किताब में प्रस्तुत की गई जितनी भी जानकारी है वह किताब के छपने के वक़्त सही है. लेखक ना ही अपने ऊपर कोई दायित्व लेता है और ना ही किसी और द्वारा उठाए गए दायित्व की सराहना करता है किसी भी नुकसान, हानि या विच्छेद के लिए जो किसी भी तरीके की गलती या चूक के वजह से हुई हो चाहे वह गलती या चूक किसी तरह की दुर्घटना, लापरवाही या अन्य किसी कारणों से हुई हो.

इस पुस्तक/ई पुस्तक में जितनी भी जानकारी है, वह केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखी गई है. अगर आप अपनी निजी जिंदगी में इस पुस्तक/ई पुस्तक में बताई किसी भी जानकारी को लागू करना चाहते हैं, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी केवल आपकी होगी. अधिक पढ़ें

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अल्बोर्ज अज़र द्वारा

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